Friday, March 25, 2011

देवों से वंदन पाना ......

- Hide quoted text -देवों से वंदन पाना .............अब होते अत्याचारों परमिलकर ये हुँकार भरोकहाँ छिपे हो घर मैं बेठेनिकलो और संहार करोआतंकी अफजल , कसाब कोऔर नहीं जीने दो अबघुस जाओ जेलों मैं मित्रोआओ मिलकर वार करोकोन है हिटलर ? कोन है हुस्नी ?किसका नाम है गद्दाफी ?दुष्टों को बस मोत सुना दोदेना नहीं कोई माफ़ी ....कि जो कोई साथ दे उनका ,बजाय हुक्म माली सा ,सजाय मोत दो उनकोरूप हो , रोद्र काली सा .जेलों मैं बिरयानी खातेधंधे अड्डे वहीँ जमातेसरकारी मेहमान वन जातेवीच चोराहे मारो लाकरउनका पर्दाफाश करोजो इनको देते सुख सारे( संसद पर हुए हमले मैंशहीद हुए पुलिस विभाग केवीरों से माफ़ी के साथ )करते जेवों के न्यारे -वारेउन वर्दी धारी गुंडों काअब न कोई खोफ करोचमड़ी खींच नमक भर दो अबमारो और हलाल करो -२वो जो इनकी फांसी परराजनीति करने वालेसफेदपोश दिखते ऊपर सेअन्दर जिनके मन कालेऐसे नेताओं का अबजनता से वनवास करोमुंह काला कर दो उनका अबपूरा सत्यानाश करो ...२उनने जाने कितने राहीचलती राहों पर मारेउनके जुल्मो और सितमजग जाहिर कर दो अब सारेअब भी रहे मोन साथी तोकुछ भी न कर पाओगेवेवस आहों और दर्दों केअपराधी कहलाओगेआहों से लपटें निकल रहींदीन दुखी जन सांसों से
- Hide quoted text -भस्म-भूत होगा अब सब कुछआर्तनाद की आहों सेमहाकाल की आहट कोअब अपना संबल जानोकृष्ण सारथी बन जायेंगेअर्जुन बन अब तुम ठानोप्रलय मचा दो इन दुष्टों पर इनको माफ़ नहीं करनाउनकी सोचो जिन बहिनों काअब सिंदूर नहीं भरनापूछो उस माँ से जिसनेरण मैं इकलोता खोया हैअश्क आँख से सूख गएउसने ऐसा क्या बोया है....?बिटिया को लगता है अब भीउसके पापा आयेंगेप्यार करेंगे गोदी लेकरलोरी नई सुनायेंगेउस बिटिया को पता नहीं हैअब पापा न आयेंगेउसके लोरी के सपनेअब झूठे पड़ जायेंगेऐसे गद्दारों की रक्षाजेलों मैं क्यों होती है ?और कुटिल सरकार निकम्मीउनके चरणों को धोती हैमंदिर मस्जिद से उठने दोहक़ की अब आवाजों कोपहिचानो गुरुद्वारा गिरिजासे उठते अब साजों कोऋषि दधीचि से बज्री वन तुमऐसा रण संहार करोख़ाक मिटा दो हत्यारों कीमिलकर आज प्रहार करोऐसा कर के पक्का मानोस्वर्ग लोक तुम जाओगेदेव करेंगे अभिबादनतुम महावीर कहलाओगे -२भगत सिंह सुखदेव राजगुरुऔर आजाद से वीरों कोपूजित वन्दनीय ये जंगीक्या पूजें धनी - अमीरों को ?लिखता नहीं गीत मैं मित्रोंगुंजा गोरी के गालों परन्योछावर जीवन ये सारामानवता के लालों परमहा काल की आहट कोअब आया तुम सब जानोआतंकी तहस नहस होंगेसंकल्प यही पक्का मानोमुट्ठी बांधे आये जग मैंखाली हाथ हमें जानाशर्म शार न हो भारत माँगर्वित हो गोरव पानादुर्योधन की मांद से अच्छेअभिमन्यु तुम बन जानाबलिदानी हो जाना रण मैंदेवों से वंदन पाना ...संतों से वंदन पाना ...गुरुओं से वंदन पाना...जन जन अभिनन्दन पाना ....भारत माता की जय( देश के वीरों को समर्पित कविता )शैलेन्द्र सक्सेना "अध्यात्म"संचालक -असेंट इंग्लिश स्पीकिंग कोचिंग बरेठ -रोड गंज बासोदा जिला - विदिशा .म.प्र .मोबाइल- ०९८२७२४९९६४जय माईकीशैलेन्द्र०६@जीमेल.comjaimaikishailendra06@gmail.com

Thursday, November 11, 2010

उन्मुक्ताकाश: मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिंदुस्तान हूँ

उन्मुक्ताकाश: मैंने पूछा नाम तो बोला कि हिंदुस्तान हूँ

My Dear, Ankur.
Jai mai ki.
Today I went to your Blog and read you.
I felt very well.
"I think Basoda is shining........".
due to your presence.
I am thinking about writing.
we are(you and me both) teaching English but writing in Hindi..
Why ...? try to Know....?
With Love
jai mai ki.
Shailendra saxena.
Ascent English Speaking Coaching"

Sunday, July 25, 2010

roj hi tumhen yaad karta hun

par isjhar karne se darta hun

mujhe koi kahe kuch bhi

par tere jikra ki chinta main

bar-bar marta hun.

shailendra saxena"saxena"

09827249964

Friday, May 14, 2010

आतंकी हमले के जिम्मेदार कसाब को फांसी देने के लिए

जब मैंने महामहिम को पत्र लिखा तो देश भर से

प्रतिक्रियाएं मिलीं

सभी मित्रों का ह्रदय से धन्यवाद

एक पत्रकार मित्र का कहना था सक्सेना जी आपने आज तक एक

आपने किसी को चांटा भी ढंग से नहीं मारा होगा कसाब को कैसे

फांसी दोगे मेरा सीधा सा जबाब है जब मैं अपने लिए जल्लाद

कहलवाने की हिम्मत रखता हूँ तो मोका मिलने पर कसाब को

फांसी देने मैं भी पीछे नहीं हटूंगा ।

शैलेन्द्र सक्सेना

गंज बासोदा

जिला विदिशा

मध्य प्रदेश

०९८२७२४९९६४

आप मुझे मेल भी कर सकते हैं

जय माई की शैलेन्द्र०६ @जीमेल.कॉम

Sunday, April 11, 2010

(01) Na.. Ram.. Na.. Allaha... _______________________ Usne kaha ......Hai.. Ram Usne ya.. Allaha.... Banduk se sirph goli nikli.. Na Ram... Na... Allaha... (02) Bhai...Bhai....? _______________ Samuhik Antim Sanskaron main Nahin pahachna gaya..... Koi hindu ...koi muslman... koi.. sikh... koi.. isai..... Bojhil palkon se... Dard bhari juban se..... Aa rahi thi aawajen... hindu-muslim-sikh-isai... Ham sab aapas main hain Bhai-Bhai...... (03) Aur... Tum....? ______________ Kisi ko mila dag, KJisi ko mili Kabra Banduk ki juban ne mita diya Majhab ka phark.... Dher par sirph ..lasen.. hi lasen.. thi... na koi hindu ..na koi muslman... Are....... Insaniyat ke pahredaron... Kaas... tum bandukon.. se hi.. kuch seekh lete..... jo bina kisi bhed ke Lakshya... bhedati hai... Aur... Tum.....? (04) Vejuban... -Ve..Rista..... _____________________ Vah banduk chalata raha... Vah goliyan.. khati rahi... Vah.. kisi ka bhai tha,pita tha, Pati...tha... Vah kisi ki maa thi, bahin thi, beti thi.... Banduk ne kar diye the sare riste Vejuban.... Ab vahan koi na tha.. Sirph khun hi khun tha.... Aur ...thi.. khun ke katron se jhank rahin... Tar...Tar... riston ki.. Vednayen.... Jinhen Banduk ne kar diya tha... Vejuban... Verista......... Shailendra Saxena"Sir" Ganj Basoda.M.P.